भारतीय ब्लॉग लेखक मंच |
Posted: 24 Jun 2011 08:19 AM PDT जब-जब कभी व्यथित, ये संसार हुआ है , किसी न किसी सुआत्मा, का अवतार हुआ है , आज के सन्दर्भ में सबसे बड़ा 'भ्रष्टाचार 'दानव है , जिसके जुल्मों से त्रश्त , हर भारतीय मानव है , समन्दर के सीने से निकली ,ये लहर दूर तक जाएगी , जो भी आएगा इसकी राह में ,'कहाँ' बहा ले जाएगी , करो प्रसस्त मार्ग इसका ,उठा लो अपने पत्थर 'रोड़े , जन-वेग निहित है अंतर में ,न समझो इनको थोड़े , जनहित |
Posted: 23 Jun 2011 11:33 PM PDT जी हां आजकल देश भर में भ्रष्टाचार की बात जोर शोर से की जा रही है। आप सबको पता है कि समाज का कोई तबका ऐसा नहीं है, जिसके हाथ इस गोरखधंधे में ना सने हों। आप सब पहले से जानते हैं कि देश के ज्यादातर सियासी भ्रष्ट हैं, नौकरशाह भी ईमानदार नहीं रहे। यहां तक की सरकारी दफ्तरों के बाबू को भी घूस का खून लग चुका है। हमारी न्यायालयों में बहुत श्रद्धा थी, लेकिन जज के साथ बैठा उनका पेशकार जब उनके सामने ही |
Posted: 23 Jun 2011 12:26 PM PDT बारिश आयी खेत में बोये बीज जिसने उसके चेहरे पर खुशी लायी सर पर छप्पर नहीं उसके चेहरे पर दुःख लायी एक अच्छी फसल की उम्मीद में खुश हुआ दूजा जान माल जाने के डर से परेशान हुआ एक हंस रहा,एक रो रहा निरंतर कोई खुश ना रहता ना ही कोई रोता सदा सुख,दुःख हिस्से जीवन के हर हाल में जीना होता विधि का विधान ऐसा ही होता 24-06-2011 1093-120-06-11 |
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