Sunday, September 23, 2012

Fwd: [हिन्दी-भारत] Re: [हिन्दी-भारत] कृपया इसे पूरा पढ़ें और सोचें कि आगे क्या करना है !!



---------- Forwarded message ----------
From: RAJEEV THEPRA
धन्यवाद आप सबों का,अब देखिये कि हम आगे कर पाते हैं क्या....!!

22 सितम्बर 2012 4:25 pm को, Dr.M.C. Gupta <mcgupta44@gmail.com> ने लिखा:
 

राजीव जी,

आपने लिखा कि--"कृपया इसे पूरा पढ़ें और सोचें कि आगे क्या करना है !!"

आपके आदेश का पालन किया. पूरा पढ़ा. मन प्रसन्न हुआ कि बकरों में कोई शेर तो निकला--

चलो अच्छा हुआ बकरों में कोई शेर तो निकला
अगर होते सभी बकरे तो मिमियाते ही रह जाते.

पूरे मंत्रीमंडल में एक ही बकरा था जिसने सबके सामने अब तक केवल मिमियाया ही था. अब उसे भी वाणी मिल गई, वह भी आकाश वाणी और दूरदर्शन पर. अब तो राम राज्य आया ही समझो. वेदवाक्य का उद्घोष भी हो गया कि पैसे पेड़ों पर नहीं लगते. इस पर दहला खूब सजा--"जी, पैसे तो आसमान से बरसते हैं--नेताओं के आँगन में".

ऐसे ही लिखते रहें.

संदर्भ--एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक का गैर-भाजपाई राम-राम !!


लोकतांत्रिक देश में भाजपाई है तान
कबहुंक तो सरकार के भनक पड़ेगी कान.

अब प्रश्न यह है कि--"आगे क्या करना है?"

>> अब तो १९१४ का इंतज़ार करना है, वोट देना है, तख्ता पलटना है.


--ख़लिश

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2012/9/22 RAJEEV THEPRA <bhootnath.r@gmail.com>
 

कृपया इसे पूरा पढ़ें और सोचें कि आगे क्या करना है !!

अभी भी आदरणीय प्रधानमन्त्री जी,
            एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक का गैर-भाजपाई राम-राम !!
             कल की आपकी विद्वतापूर्ण अर्थशास्त्रीय बातें सुनी और निसस्संदेह आप जैसा विद्वान मैं कतई नहीं हूँ सो उन पर कुछ कह पाना मेरे बस का भी नहीं किन्तु एक वाक्य जो आपने कहा कि पैसे पेड़ में नहीं लगते,उस वाक्य को राजनेताओं के सन्दर्भ में मैं सुधार कर्ण चाहूँगा वो यही कि "पैसे पेड़ में नहीं लगते वरन वो तो आसमान से बरसते हैं !!"
              ज़रा सोच कर बताईये ना ओ आप सब हमारे देश के कर्णधार जी कि जब दिन रात की मेहनत करके,तरह-तरह के उपाय और दिमाग लड़ा कर और अट्ठारह-अट्ठारह घंटो की व्यस्त खटनी के बावजूद भी जब देश के बड़े से बड़े उच्च-शिक्षित और अपने कामों में दक्ष तमाम सूरमा व्यापारी-उद्योगपति आदि जितना पैसा कठिन-से-कठिन कर्म करके भी नहीं कमा पाते तो नेताओं की पढ़ी-लिखी तो पढ़ी-लिखी,ना पढ़ी-लिखी और मोहल्लों-टोलों में लंतरानी करती नेताओं की जमात केंद्र या राज्य में कोई पद पाते ही बिना कुछ किये-धरे भी इतना पैसा कैसे बना लेती है कि पैसा भी अचंभित हो जाता होओ कि हाय मैं यह कहाँ आ गया !!??
              जितने पैसों का घाटा हमेशा जनता को समझाया-बतलाया जाता है....ज़रा यह भी तो सोच कर बताईये ना कि उसका कितना गुना इन सब जगह फैले भ्रष्टाचार के मूंह में जाता है...!!??अगर सचमुच सारे काम नियम-क़ानून से पूरे करवाएं जाएँ तब क्या सचमुच यह घाटा तब भी कायम रह पायेगा ??क्या तरह-तरह के कमीशनों की आपस में बंदरबांट करने वाले लोग सचमुच ही अगर सारा पैसा देश के खजाने में डाल दें तो भी यह घाटा बना रह सकता है !!??
              बिना कुछ किये धरे रातों-रात मालामाल हो जाने वाले.....तरह-तरह के घूस-कमीशन-चोरी-डकैती या लेवी और चंदे आदि से जनता की लानत-मलामत करने वाले ऐसे लोग क्या सचमुच यह जानते हैं कि जनता किस-किस तरह से कमाती-खाती और जीवन-यापन करती है...??क्या बात-बात पर बंद का आह्वान करने वाली जमात सचमुच जनता कि भावना पहचानती है और इन बंदियों के कुप्रभावों को समझती है...??क्या बंद कराने वाले यह जानते भी हैं कि किन कठिन परिस्थितियों में एक आम व्यापारी कमाता-खाता और उसी में से आपको तरह-तरह का चन्दा भी देता है !!??
                साब जी...पैसा पेड़ में नहीं लगता है यह तो सब जानते हैं मगर राजनेताओं की जमात के पास बिना कोई काम किये अकूत रूप से कैसे और कहाँ से आ जाता है उसे सब जानना चाहते हैं...पैसे का वो कौन सा पेड़ है जो हर मौसम में नेताओं की झोली भरे रखता है..!!??
जिसका कभी पतझड़ ही नहीं आता...!!??अगर सचमुच ऐसा कोई पेड़ नहीं है तो हम सब तो यही समझेंगे ना कि आप लोगों के पास आसमान से ही बरसता है....और शायद इसीलिए नेता और नौकरशाही पैसों की कीमत भी नहीं समझती मगर अब शायद समझ जायेगी जब आने वाले कल में उसे जनता के डंडे सर और पीठ पर पड़ेंगे....!!
                  [ये बातें मैंने आप पर नहीं लिखी हैं पी.एम. साब जी...!! आप तो सर्वकालिक ईमानदार हो....बस एक बात ही हम सब नहीं समझ पाते कि सैयां झूठों का बड़ा सरदार निकला....अब झूठों का सरदार सच्चा कैसे हो सकता है...बस यही हम सब नहीं समझ पा रहे... समझाईये ना प्लीज़...!!अब कोई जांच-वांच मत बैठा दीजिएगा जनता-जनार्दन पर...!!     

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सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!








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(Ex)Prof. M C Gupta
MD (Medicine), MPH, LL.M.,
Advocate & Medico-legal Consultant
www.writing.com/authors/mcgupta44


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सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!


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